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मंगल ग्रह
मूँगा धारण करने से मंगल ग्रह से सम्बन्धित समस्त दोष शान्त हो जाते हैं। मूँगा धारण करने से रक्त साफ होता है तथा रक्त में वृद्धि होती है। जो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय पाना चाहता हो, जिसके शत्रु अधिक हों तथा जो व्यक्ति शत्रुओं से परास्त हो चुका हो तथा जिन्हें डर अधिक सताता हो उन्हें मूँगा पहनना चाहिये । मूँगा मेष तथा वृश्चिक राशि वालों के भाग्य को जगाता है। व्यापार, नौकरी आदि में उन्नति करता है। मूँगा धारण करने से मान-स्वाभिमान में वृद्धि होती है तथा मूँगा धारण करने से मनुष्य को भूत-प्रेतादि का भय नहीं रहता इसलिये पहले जमाने में छोटे बच्चों के गले में मूँगें के दाने पहनाये जाते थे। यह आत्मबल को बढ़ाता है तथा विश्वास को दृढ़ करता है
शुक्र ग्रह
हीरा धारण करने से शुक्र ग्रह सम्बन्धित समस्त दोष शान्त हो जाते हैं। जिस व्यक्ति की कुण्डली में शुक्र ग्रह निर्बल है अथवा जिनकी राशि वृष या तुला है वह हीरा धारण करके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं। हीरा बहुत गुणकारी होता है, जो व्यक्ति हीरे को धारण करता है उसके चेहरे पर तेज रहता है, चेहरे पर हर समय मुस्कान रहती है। जीवन में जो विशेषतायें होनी चाहियें, वह मनुष्य में अनायास ही आने लगती हैं। हीरा धारण करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति की शारीरिक विवशताओं को दूर करके शरीर में नवीन क्रान्ति का संचार करता है तथा मानसिक दुर्बलताओं का अन्त करता है, जिससे दाम्पत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है। हीरा धारण करने से भूत-प्रेत व्याधा दूर होती है, जादू-टोने का असर नहीं होता। सहवास क्रिया के समय स्तम्भन शक्ति में वृद्धि होती है। यह क्रोध को समाप्त कर अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति करवाता है
चन्द्रमा ग्रह
मोती धारण करने से चन्द्रमा ग्रह से सम्बन्धित समस्त दोष शान्त हो जाते हैं। कर्क राशि वालों को मोती पहनना अति शुभकारी होता है। मोती शीतवयी होता है, अतः इसे धारण करने से क्रोध शान्त रहता है तथा मानसिक तनाव दूर होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में अनिश्चितता रहती है हमेशा विपरीत परिस्थितियाँ बनी रहती हैं, सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो रही होती है, किसी भी बात पर निर्णय नहीं ले पाते हों, ऐसे व्यक्तियों को जीवन में निश्चितता लाने व परिस्थितियों को अनकूल बनाने के लिये मोती धारण करना चाहिये । इसे धारण करने वाले व्यक्ति के मन में उत्साह रहता है यह ज्ञानवर्धक तथा धनदाता रत्न है। यह निर्बलता को दूर कर तेज व ओज का विकास करता है। मोती कोई भी व्यक्ति पहन सकता है, यह आभूषण के रूप में भी पहना जा सकता है। इसे पहनने से कोई विपरीत फल नहीं मिलता है। पेट से सम्बन्धित बीमार स्त्रियाँ इसके इस्तेमाल से लाभ उठा सकती हैं। मोती की पिष्ठी या भस्म का सेवन करने से हृदय को आश्चर्यजनक रूप से ताकत मिलती है
सूर्य ग्रह
माणिक सूर्य ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, अतः माणिक धारण करने से सूर्य ग्रह सम्बन्धित समस्त दोष शान्त हो जाते हैं। सिंह राशि वालों को माणिक पहनना अति शुभकारी होता है। जन्म कुण्डली में जिन व्यक्तियों का सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में हो उन्हें माणिक अवश्य ही पहनना चाहिये । माणिक को धारण करने से यह धारण करने वाले को तेजस्वी, प्रतापी, प्रभावशाली बनाता है। इसे धारण करने से सुख-सम्पत्ति, धन-धान्य तथा रत्न आदि की प्राप्ती होती है। यह वंश वृद्धिकारक भी माना जाता है। इसके प्रयोग से भय, व्याधि, दुःख क्लेश, चिन्ता आदि का नाश होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में स्थिरता न हो तथा कोई काम निश्चित न हो, यह उनके जीवन की अनिश्चितताओं को दूर कर उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करता है। इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन में ठहराव आता है तथा उसे दैविक शक्ति की प्राप्ति होती है। माणिक नेत्र रोगी को भी फायदा पहुँचाता है
गुरु ग्रह
पुखराज गुरु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। पुखराज पहनने से गुरु ग्रह से सम्बन्धित समस्त दोष शान्त हो जाते हैं। धनु राशि वालों को पुखराज पहनना अति शुभकारी होता है। पुखराज धारण करने से बल, बुद्धि, आयु, स्वास्थ्य, यश, कीर्ति व मानसिक शान्ति की प्राप्ति होती है। इसको धारण करने से व्यापार तथा व्यवसाय की आय में वृद्धि होती है। पुखराज को बृहस्पति जी का प्रतीक माना गया है, बृहस्पति जी को देवगुरु का स्थान प्राप्त है (इसलिये इन्हें गुरु भी कहा जाता है), इसलिये इसे पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में उन्नति का कारक माना जाता है। यदि कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो पुखराज धारण करने से शीघ्र सुलभ हो जाता है। पति सुख के लिये पुखराज धारण करना श्रेष्ठ है, यह पति-पत्नी के बीच की बाधा को दूर कर गृहस्थ जीवन को सफल व सुखी बनाता है। पुखराज मानसिक शान्ति प्रदान करके मान-प्रतिष्ठा को श्रेष्ठकर व दीर्घायु प्रदान करता है। लेखक, वकील, बुद्धिजीवी, व्यवसायियों के लिये विशेष लाभकारी है।
शनि ग्रह
नीलम शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, अतः नीलम पहनने से शनि से सम्बन्धित समस्त दोष शान्त हो जाते हैं। मकर तथा कुम्भ राशि वालों को नीलम पहनना अति शुभकारी होता है। नीलम के विषय में कहा जाता है कि यह रत्न सबसे शीघ्रता से अपना प्रभाव दिखाता है। नीलम का प्रभाव शुभ तथा अशुभ दोनों प्रकार का होता है, इसलिये नीलम परीक्षण करने के उपरान्त धारण करना चाहिये अथवा पहले जामुनिया (कटैला) धारण करके देख लेना चाहिये, यदि जामुनिया आपको किचित मात्र में भी फायदा देता है तो आप नीलम निश्चितता से पहन सकते हैं। नीलम का शुभ या अशुभ प्रभाव जानने के लिये नीलम को दाहिने हाथ में नीले कपड़े की सहायता से बाँध लेना चाहियेअथवा रात में सोते समय अपने तकिये के नीचे रख लेना चाहिये इससे यदि आपको कुछ नुकसान न हो तथा शुभ स्वप्न आयें या शुभ समाचार मिलें तो नीलम पहनना शुभ है, यदि विपरीत परिस्थितियाँ बनें तो नीलम पहनना अशुभ है और यदि परिस्थितियाँ समान रहें तथा कुछ भी महसूस न हो तो भी नीलम पहनना शुभ है, परन्तु नीलम कुम्प तथा मकर राशि वालों को कभी भी नुकसान नहीं पहुँचाता है। नीलम शनि की साढ़े-साती का दुष्प्रभाव दूर करता है। यह यदि अनुकूल पड़े तो धन-धान्य, सुख-सम्पत्ति, मान-सम्मान, यश-गौरव, आयु, बुद्धि, बल तथा वंश की वृद्धि करके मुख को अलौकिक आभा मण्डल से चमका कर नेत्र ज्योति को बढ़ाता है। नीलम खोई सम्पत्ति को वापिस दिलाता है, इसे धारण करके मन पवित्र होता है तथा दुष्कर्मों से मुक्ति मिलती है, मन सत्कर्म में लगता है। सत्य, दया, परोपकार के विचार धारणकर्त्ता के चित्त में बसने लगते हैं। ट्रांस्पोर्टर, जमीन-जायदाद, ठेकेदारी, कारखानेदार, व्यापारी, पुलिस ऑफिसर आदि को यह विशेष तरक्की दिलवाता है तथा नौकरी, व्यापार में उन्नति करता है। जिनके बाल झड़ रहे हों तथा बालों में खुजली रहती हो वह नीलम धारण करके इन परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। नीलम के बारे में यह कहावत सर्वविदित है कि नीलम यदि माफिक़ पड़े तो यह रंक (भिखारी) को भी रातों-रात राजा बनाने की क्षमता रखता है, समाज में इसके बहुदा उदाहरण हैं कि जिन व्यक्तियों को नीलम पूर्ण रास आ गया उनकी किस्मत बहुत कम समय में मुकद्दर का सिकन्दर बनी है तथा जिनको मध्यम रास आया है उनको भी फायदा ही पहुँचा है। नीलम दिन-दूनी रात चौगुनी उन्नति करता है।
राहू ग्रह
गोमेद राहू ग्रह का प्रतिनिधित्व रत्न है, अतः गोमेद धारण करने से राहू ग्रह के अनिष्ट प्रभाव शान्त होते हैं। राहू ग्रह के प्रकोप से मानसिक तनाव बढ़ता है, छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आता है, कार्यकुशलतामें निर्णायक कमी आती है, निर्णय लेने की क्षमता क्षीण हो जाती तथा योजनायें असफल हो जाती हैं। ऐसे व्यक्तियों को गोमेद अवश्य धारण करना चाहिये। गोमेद धारण करने से शत्रु पक्ष कमजोर होता है तथा शत्रु गोमेद धारण करने वाले के समक्ष टिक नहीं सकता है, इससे शत्रुओं का भय समाप्त होता है, शत्रुओं पर विजयश्री प्राप्त होती है। गोमेद मुकदमे के मामले में कोर्ट-कचहरी के कार्यों में विशेष शुभकारी है। उदर रोगों का कारण भी राहू ग्रह को माना गया है, अतः गोमेद धारण करने से पाचन तन्त्र मजबूत होता है, जिससे पेट सम्बन्धित रोगों में शान्ति मिलती है। जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तथा चंचलतावश मन छटपटाता रहता है, उन बच्चों को गोमेद का लॉकेट पहना देना चाहिये। इसे धारण करने से समस्त रुके कार्य पुनः गति प्राप्त करते हैं। इस रत्न को पहनने के लिये राशि का विचार नहीं किया जाता है
ग्रह केतू
लहसुनिया दानव ग्रह केतू का प्रतिनिधित्व रत्न है, अतः लहसुनिया धारण करने से केतू ग्रह जनित समस्त दोष शान्त हो जाते हैं, राहू की दशा में भी यह रत्न प्रभावी है तथा राहू, केतू, शनि तीनों की दशा में भी यह अपना प्रभाव विशेष रूप से दिखाता है। लहसुनिया धारण करने से बल, तेज, पराक्रम, सम्पत्ति, सुख, आनन्द, पुत्र की प्राप्ति होती है। यह दिमागी परेशानियाँ, शारीरिक दुर्बलता, दुःख, दरिद्रता, भूत-व्याधा से छुटकारा दिलाता है। लहसुनिया यदि अनुकूल आ जाये तो यह धन-दौलत में गति से वृद्धि करता है। आकस्मिक दुर्घटना, गुप्त शत्रु से भी यह रक्षा करता है। यह रत्न वायु गोला तथा पित्त नाशक भी है। इसे धारण करने से रात्रि में भयानक स्वप्न नहीं आते हैं, इसे लॉकेट के रूप में पहनने से यह दमें तथा श्वांस नली की सूजन में आराम पहुँचाता है। यह सरकारी कार्यों में सफलता पहुँचाता है
ग्रह केतू
" ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का विशेष महत्व माना गया है। वहीं, ग्रहों की स्थिति के अनुरूप ही रत्न धारण करने चाहिए। हीरा रत्न शुक्र ग्रह से संबंधित है, जो ऐश्वर्य, सुंदरता, शोहरत और रोमांस के कारक माने जाते हैं। सभी रत्नों में हीरा रत्न बेहद कीमती माना जाता है। हीरा धारण करने से शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। वहीं, कई बार लोग नाम और दिखावे के चक्कर में गलत तरीके से हीरा धारण करते हैं। हीरा कुछ लोगों का भाग्य चमका सकता है तो कुछ के लिए अशुभ भी साबित हो सकता है। इसलिए आइए जानें हीरा रत्न कब, कैसे और किसको धारण करना चाहिए-"