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एकमुखी रुद्राक्ष का आकार ओंकार होता हैं, इसमें साक्षात भगवान शिव का वास होता हैं। एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव से जुड़ा हुआ पाता है। मान्यता हैं कि एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
दो मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति इंडोनेशिया, नेपाल और भारत देश के कई क्षेत्रों में होती है, परन्तु नेपाल का दो मुखी रुद्राक्ष सबसे श्रेष्ठ माना गया है। शिव महापुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने के बाद ब्रह्म हत्या और गो हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से मंगल और सूर्य से संबंधित ग्रह दोषों का नाश होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से चेहरे का तेज बढ़ता है और बल की वृद्धि भी होती है। वहीं विद्यार्थियों के लिए रुद्राक्ष पहनना बेहद लाभकारी होता है।
चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से छात्रों की एकाग्रता मजबूत होगी तो शिक्षा के क्षेत्र में शुभ फल प्राप्त होंगे। यह न केवल एकाग्रता बल्कि बुद्धि के विकास के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके साथ इसे धारण करने से वाणी पर भी अनुकूल प्रभाव होता है|
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जो कोई विधिवत पंचमुख रुद्राक्ष धारण करता है, उसे मानसिक शांति मिलती है. अनावश्यक मन विचलित और परेशान नहीं रहता है. - इस रुद्राक्ष को धारण करने से आध्यात्मिक शक्ति अर्जित करने में मदद मिलती है. -
छह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के वक्तव्य कौशल और कलात्मक गुणों को बढ़ाता है। साथ ही ये शुक्र ग्रह के प्रभाव को भी नियंत्रित करता है। छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति जीवन, प्रेम और सुंदरता की सराहना करना सीखता है।छह मुखी रुद्राक
सात मुखी रुद्राक्ष का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है। इसे पहनने से धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा इंसान के ऊपर सडक बनी रहती है और व्यापार, नौकरी में उन्नति होती है। साथ ही आय स्त्रोतों में बढ़ोतरी होती है। डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/
आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करनेवाले व्यक्ति के अंदर शांति, धैर्य, चंचलता, शीतलता और नेतृत्व क्षमता का निर्माण होता है। इसे धारण करने के बाद व्यक्ति का भाग्योदय होता है। करियर में आ रही बाधाएं समाप्त होती है। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य
माना जाता है कि नौ मुखी रुद्राक्ष में असंभव कार्य को भी संभव बनाने की क्षमता होती है, अर्थात जो कार्य शुरु में असंभव दिख रहा हो वह रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के लिए वह संभव होने लग जाता है. इसे धारण करने से दिमाग शांत एवं एकाग्रचित्त रहता है
मान्यता है कि इसे धारण करने वालों पर जादू-टोने का कोई असर नहीं होता. इसे पहनने से पहले जानकार की सलाह जरूर लें. अशांत ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने और वास्तु दोष से छुटकारा पाने के लिए 10 मुखी रुद्राक्ष बहुत लाभकारी माना गया है.
हर प्रकार के संकट क्लेश,उलझन व समस्याओं को दूर करने में सक्षम है। इसके साथ ही पराक्रम,साहस और आत्मशक्ति को बढ़ाता है। घर में किसी भी प्रकार की बाधा हो जैसे भूत-प्रेत, देवी बाधा,शत्रु भय आदि हो तो आप ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को अपने पूजा कक्ष में रखकर उसका
रुद्राक्ष में बारह आदित्यों का तेज समाहित है। इस पर भगवान सूर्य की भी विशेष कृपा बरसती है। 12 मुखी रुद्राक्ष धारण कर्ता को राजनीति में मंत्रिपद दिलवाने का कार्य करता है। इसे धारण करने से जीवन में धन-धान्य, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
इस रुद्राक्ष को पहनने से कामदेव जैसा आकर्षण और सौंदर्य प्राप्त होता है। 13 मुखी रुद्राक्ष कुंडलिनी को जागरूक करता है। ध्यान में रूचि रखने वाले व्यक्ति को 13 मुखी रुद्राक्ष से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यौन रोगों, कामेच्छा में कमी, शुक्राणुओं की कमी और नपुंसकता आदि को इस रुद्राक्ष से
चौदह मुखी रुद्राक्ष को देव मणि भी कहा जाता है। इस शक्तिशाली रुद्राक्ष पर हनुमान जी की कृपा बरसती है। इसे धारण करने से व्यक्ति को हनुमान जी की तरह शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को निडर और खतरों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
माणिक्य रत्न का संबंध सूर्य देव से माना गया है। इसे धारण करने से व्यक्ति का सूर्य ग्रह मजबूत होता है। साथ ही माणिक्य रत्न की अंगूठी पहनने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। कम-से-कम 2-3 कैरेट का माणिक्य रत्न पहनना चाहिए, तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष को देव मणि भी कहा जाता है। इस शक्तिशाली रुद्राक्ष पर हनुमान जी की कृपा बरसती है। इसे धारण करने से व्यक्ति को हनुमान जी की तरह शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को निडर और खतरों का सामना करने की....
वहीं हम यहां बात करने जा रहे हैं पन्ना रत्न के बारे में, जिसका संबंध बुध ग्रह से माना जाता है। वहीं पन्ना रत्न हरे रंग का होता है। साथ ही पन्ना रत्न पहनने से व्यापार और करियर में तरक्की मिलने की मान्यता है। साथ ही पन्ना धारण करने से व्यक्ति का कम्यूनिकेशन मजबूत होता है।
मूंगा रत्न, जिसे हिंदी में मूंगा भी कहा जाता है, का संबंध कठोर ग्रह मंगल से है। मंगल ग्रह साहस, क्रोध, उग्रता, पाशविकता, आत्मविश्वास और शारीरिक शक्ति का प्रतीक है। मूंगा रत्न यदि जातक के विपरीत भावों में स्थित हो तो यह बुरे प्रभाव उत्पन्न करता है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में होता है, तो उसे नीलम रत्न (Blue Sapphire Effects) धारण करने के लिए कहा जाता है. यह एकमात्र ऐसा रत्न है, जिसका प्रभाव महज 24 घंटे के भीतर आप महसूस करने लगते हैं.
साथ ही धन- धान्य में वृद्धि होती है।हीरा रत्न का संबंध शुक्र ग्रह से होता है और शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। मतलब हीरा पहनने से इन सेक्टरों में व्यक्ति
शत्रुओं को पराजित करने में गोमेद रत्न को चमत्कारिक माना जाता है। साथ ही राहु केतु की महादशा के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए गोमद रत्न धारण किया जाता है। इस रत्न के पहनने से जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सभी अड़चनों से मुक्ति मिलती है।
मोती रत्न का संबंध चंद्र ग्रह से है, इसलिए इसे सोमवार के दिन प्रातः काल धारण करना चाहिए. इस अंगूठी को हाथ की सबसे छोटी अंगुली में धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है और किसी अन्य अंगुली में पहनने से आप लोगों के साथ अशुभ होता है.
लहसुनिया रत्न बिल्ली की आंख जैसा दिखता है यही वजह है कि इसे इग्लिश में "कैट स्टोन" कहते हैं। इसका रंग हरा, पीला, नीला या भूरा हो सकता है। यह रत्न केतु ग्रह से संबंधित माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में यह रत्न सहायक होता है।
एकमुखी रुद्राक्ष का आकार ओंकार होता हैं, इसमें साक्षात भगवान शिव का वास होता हैं। एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव से जुड़ा हुआ पाता है। मान्यता हैं कि एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
दो मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति इंडोनेशिया, नेपाल और भारत देश के कई क्षेत्रों में होती है, परन्तु नेपाल का दो मुखी रुद्राक्ष सबसे श्रेष्ठ माना गया है। शिव महापुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने के बाद ब्रह्म हत्या और गो हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से मंगल और सूर्य से संबंधित ग्रह दोषों का नाश होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से चेहरे का तेज बढ़ता है और बल की वृद्धि भी होती है। वहीं विद्यार्थियों के लिए रुद्राक्ष पहनना बेहद लाभकारी होता है।
चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से छात्रों की एकाग्रता मजबूत होगी तो शिक्षा के क्षेत्र में शुभ फल प्राप्त होंगे। यह न केवल एकाग्रता बल्कि बुद्धि के विकास के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके साथ इसे धारण करने से वाणी पर भी अनुकूल प्रभाव होता है|
हिन्दू धर्म में एक मुखी रुद्राक्ष को बेहद प्रभावशाली बताया गया है. माना जाता है कि इसे पहनने से आध्यात्मिक उन्नति और एकाग्रता प्राप्त होती है. इसके अलावा एक मुखी रुद्राक्ष छात्र वर्ग के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता हैइसे धारण करने से व्यक्ति
छह मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के वक्तव्य कौशल और कलात्मक गुणों को बढ़ाता है। साथ ही ये शुक्र ग्रह के प्रभाव को भी नियंत्रित करता है। छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति जीवन, प्रेम और सुंदरता की सराहना करना सीखता है।छह मुखी रुद्राक
सात मुखी रुद्राक्ष का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है। इसे पहनने से धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा इंसान के ऊपर सडक बनी रहती है और व्यापार, नौकरी में उन्नति होती है। साथ ही आय स्त्रोतों में बढ़ोतरी होती है। डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/
आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करनेवाले व्यक्ति के अंदर शांति, धैर्य, चंचलता, शीतलता और नेतृत्व क्षमता का निर्माण होता है। इसे धारण करने के बाद व्यक्ति का भाग्योदय होता है। करियर में आ रही बाधाएं समाप्त होती है। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य
माना जाता है कि नौ मुखी रुद्राक्ष में असंभव कार्य को भी संभव बनाने की क्षमता होती है, अर्थात जो कार्य शुरु में असंभव दिख रहा हो वह रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के लिए वह संभव होने लग जाता है. इसे धारण करने से दिमाग शांत एवं एकाग्रचित्त रहता है
मान्यता है कि इसे धारण करने वालों पर जादू-टोने का कोई असर नहीं होता. इसे पहनने से पहले जानकार की सलाह जरूर लें. अशांत ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने और वास्तु दोष से छुटकारा पाने के लिए 10 मुखी रुद्राक्ष बहुत लाभकारी माना गया है.
हर प्रकार के संकट क्लेश,उलझन व समस्याओं को दूर करने में सक्षम है। इसके साथ ही पराक्रम,साहस और आत्मशक्ति को बढ़ाता है। घर में किसी भी प्रकार की बाधा हो जैसे भूत-प्रेत, देवी बाधा,शत्रु भय आदि हो तो आप ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को अपने पूजा कक्ष में रखकर उसका
रुद्राक्ष में बारह आदित्यों का तेज समाहित है। इस पर भगवान सूर्य की भी विशेष कृपा बरसती है। 12 मुखी रुद्राक्ष धारण कर्ता को राजनीति में मंत्रिपद दिलवाने का कार्य करता है। इसे धारण करने से जीवन में धन-धान्य, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
इस रुद्राक्ष को पहनने से कामदेव जैसा आकर्षण और सौंदर्य प्राप्त होता है। 13 मुखी रुद्राक्ष कुंडलिनी को जागरूक करता है। ध्यान में रूचि रखने वाले व्यक्ति को 13 मुखी रुद्राक्ष से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यौन रोगों, कामेच्छा में कमी, शुक्राणुओं की कमी और नपुंसकता आदि को इस रुद्राक्ष से
चौदह मुखी रुद्राक्ष को देव मणि भी कहा जाता है। इस शक्तिशाली रुद्राक्ष पर हनुमान जी की कृपा बरसती है। इसे धारण करने से व्यक्ति को हनुमान जी की तरह शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को निडर और खतरों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
माणिक्य रत्न का संबंध सूर्य देव से माना गया है। इसे धारण करने से व्यक्ति का सूर्य ग्रह मजबूत होता है। साथ ही माणिक्य रत्न की अंगूठी पहनने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। कम-से-कम 2-3 कैरेट का माणिक्य रत्न पहनना चाहिए, तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष को देव मणि भी कहा जाता है। इस शक्तिशाली रुद्राक्ष पर हनुमान जी की कृपा बरसती है। इसे धारण करने से व्यक्ति को हनुमान जी की तरह शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को निडर और खतरों का सामना करने की....
वहीं हम यहां बात करने जा रहे हैं पन्ना रत्न के बारे में, जिसका संबंध बुध ग्रह से माना जाता है। वहीं पन्ना रत्न हरे रंग का होता है। साथ ही पन्ना रत्न पहनने से व्यापार और करियर में तरक्की मिलने की मान्यता है। साथ ही पन्ना धारण करने से व्यक्ति का कम्यूनिकेशन मजबूत होता है।
मूंगा रत्न, जिसे हिंदी में मूंगा भी कहा जाता है, का संबंध कठोर ग्रह मंगल से है। मंगल ग्रह साहस, क्रोध, उग्रता, पाशविकता, आत्मविश्वास और शारीरिक शक्ति का प्रतीक है। मूंगा रत्न यदि जातक के विपरीत भावों में स्थित हो तो यह बुरे प्रभाव उत्पन्न करता है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में होता है, तो उसे नीलम रत्न (Blue Sapphire Effects) धारण करने के लिए कहा जाता है. यह एकमात्र ऐसा रत्न है, जिसका प्रभाव महज 24 घंटे के भीतर आप महसूस करने लगते हैं.
साथ ही धन- धान्य में वृद्धि होती है।हीरा रत्न का संबंध शुक्र ग्रह से होता है और शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है। मतलब हीरा पहनने से इन सेक्टरों में व्यक्ति
शत्रुओं को पराजित करने में गोमेद रत्न को चमत्कारिक माना जाता है। साथ ही राहु केतु की महादशा के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए गोमद रत्न धारण किया जाता है। इस रत्न के पहनने से जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सभी अड़चनों से मुक्ति मिलती है।
मोती रत्न का संबंध चंद्र ग्रह से है, इसलिए इसे सोमवार के दिन प्रातः काल धारण करना चाहिए. इस अंगूठी को हाथ की सबसे छोटी अंगुली में धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है और किसी अन्य अंगुली में पहनने से आप लोगों के साथ अशुभ होता है.
लहसुनिया रत्न बिल्ली की आंख जैसा दिखता है यही वजह है कि इसे इग्लिश में "कैट स्टोन" कहते हैं। इसका रंग हरा, पीला, नीला या भूरा हो सकता है। यह रत्न केतु ग्रह से संबंधित माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में यह रत्न सहायक होता है।
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एकमुखी रुद्राक्ष का आकार ओंकार होता हैं, इसमें साक्षात भगवान शिव का वास होता हैं। एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव से जुड़ा हुआ पाता है। मान्यता हैं कि एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जो कोई विधिवत पंचमुख रुद्राक्ष धारण करता है, उसे मानसिक शांति मिलती है. अनावश्यक मन विचलित और परेशान नहीं रहता है. - इस रुद्राक्ष को धारण करने से आध्यात्मिक शक्ति अर्जित करने में मदद मिलती है. - - इस रुद्राक्ष को धारण करने से
चौदह मुखी रुद्राक्ष को देव मणि भी कहा जाता है। इस शक्तिशाली रुद्राक्ष पर हनुमान जी की कृपा बरसती है। इसे धारण करने से व्यक्ति को हनुमान जी की तरह शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को निडर और खतरों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
इस रुद्राक्ष को पहनने से कामदेव जैसा आकर्षण और सौंदर्य प्राप्त होता है। 13 मुखी रुद्राक्ष कुंडलिनी को जागरूक करता है। ध्यान में रूचि रखने वाले व्यक्ति को 13 मुखी रुद्राक्ष से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यौन रोगों, कामेच्छा में कमी, शुक्राणुओं की कमी और नपुंसकता आदि को इस रुद्राक्ष से
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में होता है, तो उसे नीलम रत्न (Blue Sapphire Effects) धारण करने के लिए कहा जाता है. यह एकमात्र ऐसा रत्न है, जिसका प्रभाव महज 24 घंटे के भीतर आप महसूस करने लगते हैं.
वहीं हम यहां बात करने जा रहे हैं पन्ना रत्न के बारे में, जिसका संबंध बुध ग्रह से माना जाता है। वहीं पन्ना रत्न हरे रंग का होता है। साथ ही पन्ना रत्न पहनने से व्यापार और करियर में तरक्की मिलने की मान्यता है। साथ ही पन्ना धारण करने से व्यक्ति का कम्यूनिकेशन मजबूत होता है।
शत्रुओं को पराजित करने में गोमेद रत्न को चमत्कारिक माना जाता है। साथ ही राहु केतु की महादशा के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए गोमद रत्न धारण किया जाता है। इस रत्न के पहनने से जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सभी अड़चनों से मुक्ति मिलती है।
माणिक्य रत्न का संबंध सूर्य देव से माना गया है। इसे धारण करने से व्यक्ति का सूर्य ग्रह मजबूत होता है। साथ ही माणिक्य रत्न की अंगूठी पहनने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। कम-से-कम 2-3 कैरेट का माणिक्य रत्न पहनना चाहिए, तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है।